कांग्रेस बोली- सांसदों को निलंबित करके सदन चलाने का मतलब नहीं, सरकार निरंकुश हो गई है।
नई दिल्ली, एजेंसी। संसद से विपक्षी सांसदों के निलंबन के खिलाफ शुक्रवार (22 दिसंबर) को इंडिया के घटक दल जंतर- मंतर पर जुटे। सेव डेमोक्रेसी प्रोटेस्ट (लोकतंत्र बचाओ प्रदर्शन) में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी, शरद पवार समेत विपक्षी पार्टियों के कई नेता मौजूद हैं। गठबंधन ने पार्टी कार्यकर्ताओं से सांसदों के सस्पेंशन के विरोध में देशभर में प्रदर्शन करने को कहा है। रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि मोदी विपक्ष रहित सदन चाहते हैं, लेकिन हम लड़ते रहेंगे। संसद में जो लोग घुसे थे, उन्होंने रंगीन धुआं उड़ाया था, अगर यह कुछ और होता तो देश की स्थिति कुछ और होती। प्रदर्शन में शामिल होने पहुंचे दिग्विजय सिंह ने कहा- हम सदन में में रि सिर्फ गृह मंत्री के बयान की मांग कर रहे थे। इस पर कई सांसदों को सस्पेंड कर दिया। कांग्रेस सांसद सैयद नसीर हुसैन ने कहा कि संसद निर्णय लेने वाली सबसे बड़ी संस्था है। 700 से ज्यादा सांसद सीधे या अप्रत्यक्ष तरीके से चुनकर आते हैं। सरकार को सांसदों को सस्पेंड करने और इसके बाद सदन चलाने का अधिकार नहीं है। सरकार पूरी तरह से निरंकुश और अलोकतांत्रिक हो गई है। गौरतलब हो कि 13 दिसंबर को लोकसभा में दो शख्स घुस आए थे, उन्हें सांसदों ने पकड़कर पुलिस को सौंप दिया। इसको लेकर विपक्षी सांसद पीएम मोदी और अमित शाह से बयान देने की मांग रहे थे। हंगामे के चलते 14 से 21 दिसंबर तक लोकसभा और राज्यसभा से 146 सांसद सस्पेंड हुए। इसमें सबसे ज्यादा कांग्रेस के 61 सांसद (लोकसभा से 44, राज्यसभा से 17) हैं। उधर, 19 दिसंबर को दिल्ली में हुई विपक्षी गठबंधन की बैठक में भी सांसदों के सस्पेंशन का मुद्दा उठा था। विपक्षी दलों ने सांसदों के सस्पेंशन की निंदा की और इसके खिलाफ विरोध करने का फैसला किया। सरकार विपक्ष की आवाज दबा रही : खड़गे कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि पीएम वाराणसी, अहमदाबाद जा रहे हैं, वे हर जगह बोल रहे हैं, संसद में सुरक्षा चूक पर नहीं बोल रहे। गृह मंत्री अमित शाह ने भी संसद् के सिक्योरिटी लैप्स पर कुछ नहीं कहा। हम इसकी निंदा करते हैं। सरकार सदन नहीं चलने देना चाह रही है। विपक्ष की आवाज दबा रही है। संसद में बोलना हमारा अधिकार है। सभापति मामले को जातिगत रंग दे रहे हैं। शरद पवार ने कहा कि सदन में जो हुआ, वो इतिहास में कभी नहीं हुआ। जो लोग सदन में घुसे, वो किसकी मदद से आए। सुरक्षा में चूक पर चर्चा क्यों नहीं हो रही? चर्चा कराने की बजाय सांसदों को सस्पेंड कर दिया गया। सभापति की मिमिक्री पर पवार ने कहा कि ये सदन के अंदर का नहीं, बाहर का मामला है।