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पाकिस्तान के मिलिट्री बेस पर हमले का शक अफगानिस्तान पर

By MPHE Dec 14, 2023
पाकिस्तान के मिलिट्री बेस पर हमले का शक अफगानिस्तान परA Task Force Warrior Mine Resistant Ambush Protected Vehicle and a Task Force Korrigan tactical armored vehicle bring troops back to Combat Outpost Belda, after they completed a mission in Shpee Valley, Kapisa province, Aug. 7. The mission was part of a larger, three-day operation where three ANA companies, supported by 500 French marines with the International Security Assistance Force, and coalition force elements, conducted a large operation intended to deny the enemy safe haven and contribute to election security in Shpee, Aug. 6-8.
पाकिस्तान के मिलिट्री बेस पर हमले का शक अफगानिस्तान पर

अफगान एम्बेसेडर तलब; इस्लामाबाद ने कहा- जांच में मदद करे काबुल

इस्लामाबाद, एजेंसी। पाकिस्तान में मंगलवार को मिलिट्री बेस पर हुए हमले के तार अफगानिस्तान में मौजूद तालिबान आतंकियों से जुड़ रहे हैं। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इस मामले में इस्लामाबाद में मौजूद तालिबान हुकूमत के एम्बेसेडर सरदार अहमद साकिब को तलब किया। उनसे कहा गया कि वो हमले की निंदा करें और अफगानिस्तान की तालिबान हुकूमत जांच में मदद करे। हमले में पाकिस्तान के 23 सैनिक मारे गए थे। पहले घटना जानिएः पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में डेरा इस्माइल खान मिलिट्री बेस पर फिदायीन हमला हुआ। यह हमला 11 और 12 दिसंबर की दरमियानी रात करीब 3 बजे हुआ था। इसमें 23 सैनिकों की मौत हो गई थी। हमले के वक्त ज्यादातर सैनिक नींद में थे। पाकिस्तानी फौज के मीडिया विंग इंटर- सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस ने भी इस हमले की पुष्टि की। जानकारी के मुताबिक सेना ने शुरुआत में आतंकियों की मिलिट्री पोस्ट में घुसने की कोशिश की थी। इसे नाकाम कर दिया था। इसके बाद आतंकी विस्फोटकों से भरी गाड़ी लेकर बेस कैम्प में घुस गए। पाकिस्तानी फौज ने सभी 6 आतंकियों को मार गिराया। हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन तहरीक-ए-जिहाद पाकिस्तान ने ली है। यह नया नाम है, लेकिन माना जाता है कि तहरीक-ए- तालिबान पाकिस्तान ही इस संगठन की कमान संभालता है। यही वजह है कि हमले के फौरन बाद पाकिस्तानी फौज और सेना ने अफगानिस्तान की तालिबान हुकूमत पर दबाव डालने की कोशिश की।
पाकिस्तान लंबे वक्त से आरोप लगाता आया है कि उसके यहां होने वाले ज्यादातर हमले अञ्जक ही करता है और इसके आतंकी हमला करने के बाद अफगानिस्तान भाग जाते हैं। वहां की तालिबान हुकूमत इन्हें पनाह देती है। पाकिस्तान में 8 फरवरी 2024 को आम चुनाव होने हैं। इसके पहले इतना बड़ा हमला फौज और दूसरे सुरक्षा एजेंसियों के लिए बहुत बड़ा चैलेंज है। इस साल मुल्क में 24 बड़े हमले हुए हैं। इनमें से 14 का आरोप पाकिस्तान सरकार अञ्जक्क पर लगाती है, जो अफगानिस्तान से ऑपरेट करता है। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में अफगान एम्बेसेडर को तलब किए जाने की पुष्टि की। कहा- अफगानिस्तान की तालिबान हुकूमत से कहा गया है कि वो इस हमले की पूरी तहकीकात करें और जिम्मेदारों के खिलाफ सख्त एक्शन हैं। उन्हें सार्वजनिक तौर पर घटना की निंदा करनी होगी। बयान पर गौर करें तो इसमें कहीं भी यह नहीं कहा गया है कि हमले में कोई अफगान नागरिक शामिल था। इसके अलावा यह जानकारी भी नहीं दी गई है कि अफगानिस्तान से जांच के लिए क्यों कहा जा रहा है। हालांकि, न्यूज एजेंसी रॉयटर्स से बातचीत में पाकिस्तान के एक टॉप इंटेलिजेंस अफसर ने कहा- शुरुआती जांच में पता लगा है कि हमला करने वाले आतंकियों के दस्ते को अफगान नागरिक लीड कर रहा था। हालांकि, पाकिस्तानी फौज अब तक खामोश है।

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