संपादकीय- रवीन्द्र वाजपेयी
वर्ष 1989 में आज ही के दिन मध्यप्रदेश हिन्दी एक्सप्रेस का पहला अंक प्रकाशित हुआ था। उस समय मंडल और मंदिर जैसे मुद्दों के कारण राजनीतिक समीकरण नया आकार ले रहे थे । महत्वाकांक्षाओं के खतरनाक रूप में सामने आने से समाज को जातियों में खंडित करने के षडयंत्र के साथ ही बेमेल गठबंधनों के जरिए स्थापित छत्रपों के स्थान पर ही नए पुतलों में प्राण प्रतिष्ठा की जा रही थी। अविश्वास और अस्थिरता के कारण भ्रम और भय का माहौल बन गया । उस वातावरण में महाकोशल की चेतनास्थली संस्कारधानी जबलपुर में जब एक नए सांध्य दैनिक का उदय हुआ तब उसके लिए अपनी पहचान बनाना हीं था । लेकिन देखते – देखते मध्यप्रदेश हिन्दी एक्सप्रेस पाठकों की पसंद बन गया । निर्भीक और सटीक टिप्पणियों के कारण उसे हर वर्ग का प्यार और समर्थन जिस मात्रा में मिला उसके कारण ही हम अपने कर्तव्य का निर्वहन करने में समर्थ हो सके। 34 वर्ष की इस यात्रा में मध्यप्रदेश हिन्दी एक्सप्रेस दायित्वबोध से कभी विमुख नहीं हुआ । स्वस्थ पत्रकारिता की ध्वजा को हमने जिस मजबूता से थामे रखा उसके कारण इसकी जो अलग पहिचान बनी वह यथावत है । यद्यपि इसके लिए हमें अनेकानेक तकलीफों और विरोध से गुजरना पड़ा । वैसे भी तकनीक में हो रहे बदलाव के कारण लघु और मध्यम श्रेणी के समाचार पत्रों के समक्ष आर्थिक संसाधनों का जबरदस्त संकट आ खड़ा हुआ है। वहीं डिजिटल म ने भी नई प्रतिस्पर्धा उत्पन्न कर दी है। बावजूद इसके मध्यप्रदेश हिन्दी एक्सप्रेस आगे बढ़ता जा रहा है। पाठकों का इस पर जो भरोसा है वही इसकी शक्ति है । इस वर्ष आपका यह अखबार आठ पृष्ठों के साथ रंगीन हो गया है। निःस्वार्थ भाव से सहयोग देने वाले विज्ञापनदाताओं की उदारता हमारा संबल है । पत्रकारिता के आदर्श रास्ते पर बिना रुके चलते रहना हमारा संकल्प है। साथ ही जिसे पढे बिना शाम अधूरी है नामक विशेषण को जीवंत रखने हम प्रतिबद्ध हैं। मौजूदा समय बेहद चुनौतीपूर्ण है। राजनीतिक घटनाक्रम नित बदल रहा है। इस समय म.प्र. राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में विधानसभा चुनाव की सरगर्मी है। 3 दिसंबर को आने वाले परिणाम आगामी वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव को प्रभावित कर सकते हैं। इस बीच एक बार फिर मंदिर और मंडल का दौर लौटता दिख रहा है। अयोध्या में राममंदिर का शुभारंभ होने के सुखद क्षण ज्यों-ज्यों नजदीक आ रहे हैं त्यों त्यों जातिगत जनगणना और आरक्षण का मुद्दा गरमाया जा रहा है, जिसके निहित उद्देश्य सर्वविदित हैं। इन हालातों में समाचार माध्यमों को अपनी विश्वसनीयता और छवि बचाए रखने के प्रति गंभीर रहना होगा । जिस तेजी से उन पर आरोपों और आक्षेपों की बौछार की जा रही है वह भी सुनियोजित है ताकि उनकी आवाज को दबाया जा सके। हालांकि इसके लिए इस पवित्र पेशे में घुस आए धंधेबाज किस्म के तत्व ही जिम्मेदा हैं। लेकिन मध्यप्रदेश हिन्दी एक्सप्रेस पाठकों के विश्वास और पत्रकारिता की गरिमा को सुरक्षित रखने के लिए पूरी ईमानदारी से खड़ा रहेगा। 34 साल के इस सफर में हर तरह के दबाव आते रहे परन्तु हमने साहस के साथ उनका प्रतिकार किया और आगे भी हमारी ये तासीर जारी रहेगी। ब्लैक एंड व्हाइट से शुरू यह अखबार भले ही अब रंगीन होकर आपके सामने आने लगा है किंतु पत्रकारिता की मौलिकता और समाज में सकारात्मकता के प्रसार के अपने मिशन को हम पूरे समर्पण भाव से जारी रखेंगे।