यह खबर दहशतजदा करने के लिए नहीं, बल्कि आपको सावधान और सजग करने के लिए है। भूकंप का जो झटका शुक्रवार को महसूस किया गया, उसे अंतिम मत समझिए। ऐसे झटकों के आगे भी आने की प्रबल आशंका है।
विशेषज्ञों के मुताबिक, हिमालय क्षेत्र में पृथ्वी की इंडो-ऑस्ट्रेलियन प्लेट, यूरेशियन प्लेट के नीचे दबती जा रही है और इससे हिमालय ऊपर उठता जा रहा है। हिमालय की ऊंचाई प्रति वर्ष लगभग 1.5 सेमी बढ़ रही है। ऐसे में भविष्य में भूकंप के उच्च तीव्रता वाले भूकंप आने की संभावना है। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. दीपक प्रसाद के मुताबिक, हिमालय की तलहटी पर बसे नेपाल के नीचे दो बड़े टेक्टोनिक प्लेट हैं। इसमें एक इंडो-ऑस्ट्रेलियन और दूसरा यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेट है। जब इन दोनों प्लेटों की टक्कर होती है, तो नेपाल में भूकंप के झटके आते हैं। इसके चलते ही दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत समूह का निर्माण होता है। उन्होंने बताया कि पृथ्वी का सबसे ऊंचा और लंबा पर्वत हिमालय, नेपाल को पश्चिम से पूर्व पार करता है। नेपाल का एक बड़ा हिस्सा समुद्र तल से 3,000 मीटर से अधिक ऊंचा है, उच्चतम बिंदु समुद्र तल से 8,848 मीटर ऊपर है।
प्लेट टेक्टोनिक की स्थिति यह है कि दो महाद्वीपीय प्लेटें (इंडियन प्लेट एवं यूरेशियन प्लेट ) एक-दूसरे की ओर बढ़ रही हैं, यह पृथ्वी पर अद्वितीय है। डॉ. प्रसाद के मुताबिक, आमतौर पर एक समुद्री प्लेट महाद्वीपीय प्लेट से टकराती है, जैसे दक्षिण अमेरिका में एंडीज में, लेकिन उपरोक्त दोनों महाद्वीपीय प्लेटों का घनत्व लगभग समान है। इसलिए संपूर्ण क्षेपण (सबडक्शन) संभव नहीं है और दोनों भूभाग ऊपर की ओर धकेले जाते हैं। भारत में प्रति वर्ष 20 सेमी के प्रवाह वेग के साथ 6,000 किमी की कुल दूरी तक प्रवाह प्रारंभ हुआ। वर्तमान में भी दोनों महाद्वीप एक-दूसरे की ओर बढ़ रहे हैं।