हाईकमान मनाने में लगा कमलनाथ और दिग्विजय की पेशी
भोपाल (निप्र)। पहले तो कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने हेकड़ी दिखाते हुए विपक्ष के राष्ट्रीय गठबंधन के बाकी घटकों को घास डालने तक से इंकार कर दिया। लेकिन जब सपा, आम आदमी पार्टी और और जनता दल (यू) जैसे सहयोगियों ने भी उंगली टेढ़ी करते हुए अपने प्रत्याशी उतारने शुरू किए वैसे ही कांग्रेस के माथे पर पसीना आने लगा। ऊपर से दिग्विजय सिंह ने ये कहकर सनसनी मचा दी कि उन्होंने सपा को कुछ सीटें देने कहा था। जिसे अनसुना कर दिया। विवाद बढ़ने पर जब सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कांग्रेस को धोखेबाज और वायदे से मुकरने वाला बताते हुए नाराजगी जताई तब श्री
नाथ ने कौन अखिलेश-वखलेश जैसी टिप्पणी करते हुए मजाक उड़ाया। बसपा हालांकि विपक्ष के गठबंधन में नहीं है किंतु आम आदमी पार्टी और जनता दल (यू) द्वारा प्रत्याशी उतार दिए जाने के बाद कांग्रेस को घबराहट हुई क्योंकि इससे 2024 में होने वाला गठबंधन खटाई में पड़ सकता है। सुना है उक्त तीनों दलों ने कांग्रेस हाईकमान से कमलनाथ के अडविलपन की शिकायत की जिसके बाद उनकी मिजाज पुर्सी की गई और प्रत्याशियों की बाकी सूचियां जारी न करने हेतु उन्हें सहमत किया गया। कहते हैं शुरू-शुरू में कमलनाथ राष्ट्रीय नेतृत्व को ये समझाने में सफल हो गए थे कि म.प्र में बाकी किसी विपक्षी पार्टी की कोई हैसियत नहीं है इसलिए उनके लिए सीटें छोड़ने का कोई मतलब नहीं है। लेकिन जब सपा आप और जद (यू) ने गुस्से में उम्मीद से ज्यादा प्रत्याशी उतार दिए तब हाईकमान के कान खड़े हुए और उसने फौरन उन पार्टियों से संपर्क करने के बाद कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की पेशी लगा दी। हालांकि उन दलों ने अपने बढ़ते कदम रोक लिए हैं किंतु जो उम्मीदवार खड़े किये जा चुके हैं उनको नहीं हटाया तब कांग्रेस के लिए खतरा बना रहेगा। दूसरी मुसीबत ये है कि यदि कांग्रेस ने उन दलों के लिए सीट छोड़ने की दरियादिली दिखाई तो उसके घर में बगावत होना तय है। कुल मिलाकर कमलनाथ की जरूरत से ज्यादा होशियारी कांग्रेस के लिए नुकसान एक सौदा साबित हो रही है। पार्टी के आलाकमान की असली चिंता 2024 का लोकसभा चुनाव है। अखिलेश ने म.प्र को लेकर जिस तरह से कांग्रेस को जिस तरह धमकाया उसके बाद उच्च नेतृत्व के कान खड़े हो गए थे ।