भोपाल ( संवाददाता )। अपने को अभी से मुख्यमंत्री मानकर चल रहे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के फैसलों पर पार्टी के भीतर से ही उंगलियां उठने लगी हैं। प्रत्याशियों की पहली सूची के बाद नजर आई बगावत दूसरी सूची के बाद और बढ़ गई है। अनेक स्थानों पर जिस तरह घोषित प्रत्याशी का विरोध हो रहा है उससे ये साफ है कि श्री नाथ के विरोधी सामने भले न आ रहे हों किंतु परदे के पीछे उनकी मुखालफत शुरू हो गई है। गोटेगांव और दतिया के प्रत्याशी बदलना ये दर्शाता है कि प्रदेश अध्यक्ष भी दबाव में आ गए हैं।
कांग्रेस के अनेक नेता ये मान रहे हैं कि समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं करना श्री नाथ की भारी भूल है। गत दिवस जिस तरह सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कमलनाथ का नाम लेकर तीखा बयान देते हुए सपा प्रत्याशी मैदान में उतारने का ऐलान किया उससे कांग्रेस के भीतर उथलपुथल है । अखिलेश ने म. प्र में कांग्रेस के रवैए को धोखा कहते हुए भविष्य में उसके साथ गठबंधन को लेकर विचार करने की बात कहकर विपक्ष के राष्ट्रीय गठबंधन के लिए खतरे के संकेत दे दिए हैं। ये सर्वविदित है कि प्रदेश कांग्रेस में इन दिनों जो भी हो रहा है उसके रिंग मास्टर श्री नाथ ही हैं। छिंदवाड़ा के उम्मीदवारों के घोषणा पार्टी हाईकमान से पहले वहां के सांसद और अपने बेटे नकुल नाथ से करवाकर प्रदेश अध्यक्ष ने तमाम कांग्रेस जनों को ये संदेश दे दिया है कि वे और उनका बेटा ही म.प्र में पार्टी के सर्वेसर्वा हैं। पार्टी के भीतरखानों में चर्चा है कि श्री नाथ का अति आत्मविश्वास पार्टी के लिए नुकसानदेह साबित हो रहा है। उन्होंने संगठन पर जिस तरह से नियंत्रण स्थापित किया है उसके कारण दूसरी पंक्ति के नेतागण भन्नाए हुए हैं। इसका असर ये हो रहा है कि जिन अंचलों में कांग्रेस की स्थिति मजबूत कही जा रही थी। वहां से भी अब उसके लिए बुरी खबरें आने लगी हैं। प्रदेश में सपा , बसपा और आम आदमी पार्टी के चुनाव लड़ने की वजह से भाजपा विरोधी मतों के बंटवारे की स्थिति बन जाने के बाद कमलनाथ की वजनदारी कम होने लगी है। नकुलनाथ से टिकटों का ऐलान करवाने के उनके फैसले की शिकायत गांधी परिवार तक जा पहुंची है। दिग्विजय सिंह भी ऊपरी तौर पर कुछ भी कहें किंतु अपने पर कतरे जाने से खिन्न हैं। यदि यही हाल रहा तो बड़ी बात नहीं जैसा भाजपा दावा कर रही है कांग्रेस दो अंकों अर्थात 100 से नीचे लुढ़क जाए।