कांग्रेस की पहली सूची का ठंडा स्वागत अच्छा संकेत नहीं

कांग्रेस की पहली सूची का ठंडा स्वागत अच्छा संकेत नहीं
कांग्रेस की पहली सूची का ठंडा स्वागत अच्छा संकेत नहीं

कमलनाथ के एकाधिकार से बाकी छत्रप नाराज

भोपाल (निप्र)। कांग्रेस द्वारा प्रत्याशियों की सूची जारी करने के लिए नवरात्रि के शुभ मुहूर्त का इंतजार किया गया था। लेकिन गत दिवस ज्योंही 144 उम्मीदवारों के नामों का खुलासा हुआ त्योंही प्रदेश भर से आ रही खबरें इस बात का संकेत हैं कि शुभ मुहूर्त के इंतजार में रोकी गई सूची अशुभ साबित हो रही है। इसका कारण ये है कि अधिकतर टिकिटें कमलनाथ समर्थकों को दे दी गई। जबकि प्रदेश कांग्रेस के अन्य छत्रपों मसलन दिग्विजय सिंह, डा.गोविंद सिंह, सुरेश पचौरी, अजय सिंह राहुल, अरुण यादव आदि की उपेक्षा की गई। हालांकि उनके कहने से कुछ लोग उम्मीदवारी पा गए किंतु उनकी ज्यादातर सिफारिशें रद्दी की टोकरी में डाल दी गईं। कुछ खेल प्रदेश प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने भी दिखाया। श्री नाथ ने ऐसा माहौल बनाए रखा जैसे कि टिकटों का फैसला राहुल गांधी करेंगे। हालांकि कुछ हद तक ये सत्य भी है परंतु अंत में प्रदेश अध्यक्ष अपना काम कर ही गए और बाकी नेता टापते हुए बैठे रहे । प्रदेश के अनेक अंचलों से टिकिट से वंचित पार्टी नेता इस्तीफा दे रहे हैं। कुछ तो सपा, बसपा और आम आदमी पार्टी में भी ठिकाने तलाशने जुट गए हैं। जो प्रत्याशी बनाए गए हैं उनके पुतले जलना कांग्रेस के लिए अशुभ संकेत है। इस स्थिति को श्री नाथ कैसे संभालेंगे ये देखने वाली बात होगी क्योंकि उक्त सभी नेता असंतोष की आग में हाथ जलाने से बचना चाहेंगे। अभी काफी उम्मीदवारों का ऐलान बाकी है। श्री नाथ सोचकर चल रहे थे कि वे जैसा चाहेंगे करवा लेंगे लेकिन पहली सूची को लेकर फैला असंतोष बता रहा है। कि आगे का रास्ता आसान नहीं रहेगा । टिकटों का संकट भाजपा में भी है लेकिन उसने समय रहते सामूहिक नेतृत्व का दांव चल दिया। नरेंद्र सिंह तोमर, कैलाश विजयवर्गीय, प्रह्लाद पटेल को विधायक का चुनाव लड़वाने से क्षेत्रीय संतुलन बना लिया गया। कांग्रेस इस मामले में शुरू से गलती करती आ रही है।
दरअसल कमलनाथ का एकाधिकारवादी रवैया शुरू से रहा । नेता प्रतिपक्ष पद छोड़ा किंतु प्रदेश अध्यक्ष बनकर संगठन पर पकड़ बनाते हुए खुद को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करवा लिया। इस कारण उनके निकटस्थ दिग्विजय सिंह भी नाराज बताए जाते हैं। क्या होगा ये कहना कठिन है किंतु पहली सूची का कांग्रेस में जिस तरह से ठंडा स्वागत हुआ वह अच्छा संकेत नहीं है। यदि बाकी उम्मीदवार भी ऐसे ही चुने गए तब पार्टी कार्यकर्ताओं का उत्साह ठंडा पड़ने का खतरा है।