West Bengal: बर्धमान जिले में कोयले की खदान ढहने से तीन की मौत, 10 लापता; घटना को लेकर छिड़ा राजनीतिक घमासान

West Bengal: बर्धमान जिले में कोयले की खदान ढहने से तीन की मौत, 10 लापता; घटना को लेकर छिड़ा राजनीतिक घमासान
West Bengal: बर्धमान जिले में कोयले की खदान ढहने से तीन की मौत, 10 लापता; घटना को लेकर छिड़ा राजनीतिक घमासान

पश्चिम बंगाल के पश्चिम बर्धमान जिले में अवैध खनन के दौरान एक कोयला खदान ढह जाने से कम से कम तीन की मौत तो वहीं अन्य 10 लोगों के लापता होने की आशंका है। पुलिस ने संदेह जताया है कि यह हादसा आसनसोल से लगभग 18 किमी दूर रानीगंज थाना क्षेत्र के एगरा ग्राम पंचायत में ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (ईसीएल) (ईसीएल) की नारायणकुरी कोलियरी में अवैध तरीके से कोयला निकाले जाने के दौरान हुई है। मृतकों की पहचान दिनेश रुईदास (38), सुमीर बउरी (17) और सुराजित सेन (21) के तौर पर हुई है। ये तीनों ही घटनास्थल के आसपास के इलाकों के रहने वाले थे। मीडिया से बात करते हुए पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘करीब 25 से 30 लोग अवैध तरीके से बुधवार की दोपहर खदान के भीतर घुसे। एक घंटे बाद ही खदान ढह गई, जिसमें कुछ लोग वहां से जान बचाकर निकलने में कामयाब रहे तो कुछ वहीं फंस गए। ईसीएल ने घटना की जांच शुरू कर दी है।’

सीतारामपुर खनन सुरक्षा क्षेत्र 1 के महानिदेशक इरफान अहमद अंसारी अपनी टीम के साथ घटनास्थल का दौरा किया। उन्होंने बताया, ‘यह एक वैध खदान है, लेकिन इसमें से अवैध तरीके से कोयला निकालने की कोशिश की जा रही थी। तीन लोगों की मौत हो चुकी है, तो वहीं कई लोगों के फंसे होने की आशंका है।

घटना को लेकर छिड़ा राजनीतिक घमासान
इस घटना ने क्षेत्र में राजनीतिक घमासान छेड़ दिया है। विपक्षी दलों ने सत्तारूढ़ सरकार पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है। वहीं टीएमसी ने इस घटना के लिए ईसीएल और  सीआईएसएफ की भूमिला पर सवाल उठाया है। भाजपा के वरिष्ठ नेता अग्निमित्रा पाल बुधवार की रात घटनास्थल पर पहुंचकर वहां धरना प्रदर्शन किया। भाजपा कार्यकर्ताओं ने रानीगंज पुलिस स्टेशन के सामने प्रदर्शन करते हुए मरने वालों के परिजनों को मुआवजे के तौर पर पांच लाख रुपये की मांग की है।

भाजपा प्रवक्ता समिक भट्टाचार्य ने कहा, ‘यह टीएमसी नेताओं और प्रशासन के एक वर्ग के संरक्षण के कारण हो रहा है।’ सीपीआई (एम) केंद्रीय समिति के सदस्य सुजन चक्रवर्ती ने कहा कि खदान ईसीएल की होने के बावजूद अतिक्रमणकारी को रोकने के लिए कड़ी सुरक्षा उपलब्ध नहीं थी।