हिंदी सिनेमा के दिग्गज अभिनेता देव आनंद सिनेमा के सबसे कामयाब एक्टर्स में गिने जाते रहे । उनकी फिल्में, अभिनय, स्टाइल कोई ऐसी चीज नहीं जिस पर दर्शक दिल फिदा न हुए हों। गुरदासपुर के रहने वाले देव आनंद ने मायानगरी बंबई (अब मुंबई) में अपनी जिंदगी की नई शुरुआत की थी। महज तीन रुपये लेकर अपने सफर की शुरुआत करने निकले देव आनंद कुछ सालों बाद पर्दे के सबसे बड़े स्टार बन
गए। उन्होंने खुद एक इंटरव्यू में यह बात बताई थी। उसी इंटरव्यू का एक वीडियो क्लिप एक्टर धर्मेंद्र ने देव आनंद को याद करते हुए साझा किया। उसके साथ ही लिखा दोस्तों, हमारे प्यारे देव आनंद साहब की वो बातें जो प्यार से भरी हैं। उस वीडियो में शो के होस्ट देव आनंद से कहते हैं कि लोग जानना चाहते हैं कि अगर आप पंजाब से हैं लाहौर से हैं तो पंजाबी बोलते होंगे। इस पर देव आनंद ने कहा मैं पंजाबी हूं, गुरदासपुर का रहने वाला हूं। जब देश का बंटावारा हुआ तब बड़ा असमंजस था कि गुरदासपुर पाकिस्तान जाएगा कि हिंदुस्तान जाएगा। मेरे पिताजी गुरदासपुर में थे और मैं बंबई में था। घर पर कौन सी भाषा बोलते हैं इस सवाल पर देव साहब ने कहा पंजाबी या हिंदी या अंग्रेजी। मेरी पैदाइश गुरदासपुर की है, उसके बाद मेरे पिताजी ने डलहौजी में मुझे कॉन्वेंट में दे दिया। फिर मैं कॉलेज में लाहौर गया और 1943 में बीए पास करने के बाद मैं एम.ए करना चाहता था। लेकिन एम.ए करने के लिए मेरे पिता के पास उतने पैसे नहीं थे और मेरे दिमाग से बात निकली कि मुझे एक्टर बनना है. । मैंने किसी की बात नहीं सुनी लेकिन पैसे आएंगे कहां से ? तीन रुपये लेकर, मेरे दोस्त की गाड़ी से मैं बंबई पहुंच गया। और फिर ढाई साल तक… मेहनत की, मैं एक बहुत शानदार कॉलेज से हूं और उम्दा एजुकेशन और ढेर सारा कॉन्फिडेंस। मुझे लगता है इंसान का आत्मविश्वास ही उसकी संपत्ति है, पैसों से बड़ा, और जो व्यक्ति आपसे आपका आत्मविश्वास छीन लेता है वो आपका सबसे बड़ा दुश्मन है. देव आनंद ने अपने करियर में कई हिट फिल्मों का दौर जिया । विद्या, जीत, अफसर, नीली, दो सितारे, सनम, जिद्दी, बाजी, आंधियां, टैक्सी ड्राइवर, हाउस नंबर 44, नौ दो ग्यारह, पॉकेट मार, सीआईडी, पेइंग गेस्ट, हम दोनों, जानी मेरा नाम, हरे रामा हरे कृष्णा और गाइड समेत कई फिल्में देव आनंद के हिट्स में शामिल हैं। अपने अनोखे अंदाज से उन्होंने अपना बहुत बड़ा प्रशंसक वर्ग बनाया जिसमें एक साथ तीन पीढयों के लोग थे। गाइड उनकी कालजयी फिल्म थी। जिस तरह दिलीप कुमार के साथ मुगल ए आजम और राजकपूर के साथ आवारा फिल्म का नाम जुड़ा वैसे ही गाइड और देव साहब को अलग नहीं किया जा सकता।
प्रस्तुति : धीरेंद्र शुक्ल