आदित्य एल वन 6 जनवरी को तय जगह पहुंच जाएगा

आदित्य एल वन 6 जनवरी को तय जगह पहुंच जाएगा
आदित्य एल वन 6 जनवरी को तय जगह पहुंच जाएगा

इसरो चीफ बोले- किस समय लैगरेंज पॉइंट पहुंचेगा, यह सही वक्त पर बताएंगे

अहमदाबाद, एजेंसी। भारत सोलर मिशन आदित्य एला आगामी 6 जनवरी को तय जगह यानी लैंगरेंच पॉइंट पर पहुंच जाएगा। ये जगह धरती से 15 लाख किमो दूर है। इसरो प्रमुख के सोमनाथ ने 23 दिसंबर को ये जानकारी दी। आदित्य Lv को 2 सितंबर को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया था। इस मिशन को सूर्य के अध्ययन के लिए लॉन्च किया गया है। सोमनाथ ने ये भी कहा कि आदित्य स किस वक्त अपनी नियत जगह पहुंचेगा, इसकी घोषणा सही समय पर की जाएगी। सोमनाथ अहमदाबाद में भारतीय विज्ञान सम्मेलन में पहुंचे हैं। ये बातें उन्होंने पत्रकारों के सवालों पर शेयर कीं। Lv पॉइंट पर 5 साल स्थापित रहेगा सोमनाथ के मुताबिक, जब आदित्य स लैगरेंज पॉइंट पर पहुंचेगा, हम एक बार फिर इंजन शुरू करेंगे, ताकि ये आगे न बढ़े। जब ये अपने नियत स्थान तक पहुंच जाएगा तो यह उस पॉइंट के चारों तरफ चक्कर लगाएगा और वहीं बना रहेगा। इसरो चीफ ने ये भी बताया कि एक बार जब आदित्य Lv अपने तय स्थान लैगरेंज पॉइंट पर सफलतापूर्वक स्थापित हो जाएगा तो यह वहां 5 साल रहेगा। आदित्य Lv सूर्य में होने वाली गतिविधियों की जानकारी केवल भारत को नहीं, बल्कि पूरी दुनिया को देगा। ये डेटा सूर्य के डायनामिक्स को समझने में कारगर होगा। इस डेटा से ये भी मदद मिलेगी कि सूर्य कैसे हमारी जिंदगी पर असर डालता है। लैगरेंज पॉइंट-1 (Lv) क्या है- लैगरेंज पॉइंट का नाम इतालवी-फेंच मैचमैटीशियन जोसेफी लुई लैग्रेंज के नाम पर रखा गया है। इसे बोलचाल में Lv नाम से जाना जाता है। ऐसे पांच पॉइंट धरती और सूर्य के बीच हैं, जहां सूर्य और पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल बैलेंस हो जाता है और ट्रिफ्यूमल फोर्स बन जाता है। ऐसे में इस जगह रखा जाता आसानी उस पॉइंट के चारों तरफ चक्कर लगाना शुरू कर देता है। पहला लेगरेंज पॉइंट धरती और सूर्य के बीच 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर है। इस पॉइंट पर ग्रहण का प्रभाव नहीं पड़ता।
सूर्य की स्टडी जरूरी क्यों-जिस सोलर सिस्टम में हमारी पृथ्वी है, उसका केंद्र सूर्य हो है। सभी आठ ग्रह सूर्य के हो चक्कर लगाते हैं। सूर्य की वजह से ही पृथ्वी पर जीवन है। सूर्य से लगातार ऊर्जा बहती है। इन्हें हम चार्जड पार्टिकल्स कहते हैं। सूर्य का अध्ययन करके ये समझा जा सकता है कि सूर्य में होने वाले बदलाव अंतरिक्ष को और पृथ्वी पर जीवन को कैसे प्रभावित कर सकते हैं।