उज्जैन के प्रोफेसर बोले- पीएचडी में उनका रिसर्च शिवराज सरकार की परफॉर्मेंस पर था|
उज्जैन, एजेंसी। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने छात्र राजनीति की शुरुआत उज्जैन के माधव साइंस कॉलेज से की। 1982 में वे 17 साल की उम्र में यहां पढ़ने पहुंचे। इसी साल कॉलेज में सह-सचिव चुने गए। 1984 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के छात्र संघ अध्यक्ष बने। उन्होंने यहां से क्स्फ की। बाद में विक्रम विश्वविद्यालय से LLB, MA (राजनीति विज्ञान), MBA, PhD की। PhD के लिए उन्होंने % शिवराज सरकार की परफॉर्मेंस पर मीडिया की राय% पर रिसर्च किया। हमने माधव साइंस कॉलेज के द्वरिटायर्ड प्रोफेसर शील चंद्र कैलाशी और विक्रम विश्वविद्यालय के रिटायर्ड प्रोफेसर गोपाल कृष्ण शर्मा से बात की। डॉ. मोहन यादव के छात्र राजनीति से सत्ता तक पहुंचने के सफर को जाना। कई दिलचस्प किस्से सामने आए। सीएम यादव को पीएचडी कराने वाले प्रो. गोपाल कृष्ण कहते हैं कि उन्हें पहले से पता था कि वे मुख्यमंत्री बनेंगे। वे बताते हैं, जिस दिन मुख्यमंत्री का चयन होना था, उसी दिन सुबह 6 बजे मोहन यादव से मेरी बात हुई थी। मैंने उन्हें कहा था कि मोहन आज नया CM बन जाएगा। आपने – उच्च शिक्षा मंत्री रहते हुए हमारे विश्वविद्यालय के पेंशन वाले अभियान को आधा सफल किया है। इतना सुनते ही उन्होंने कहा था कि यूनिवर्सिटी पेंशन का काम तो ष्टरूको करना है। इस समस्या को मुख्यमंत्री ही दूर कर सकता है। मुझे उस समय यह पता नहीं था कि वे ही ष्टरू बन रहे हैं। हालांकि, जिस अंदाज में उन्होंने कहा था, उससे लगा कि उन्हें पहले से ही पता था कि वे मुख्यमंत्री बनेंगे PhD में सब्जेक्ट क्या हो? इस पर हुई लंबी चर्चा प्रो. शर्मा बताते हैं, डॉ. मोहन यादव ने MA (प्राइवेट) फर्सट डिविजन में पास किया। पीएचडी में सब्जेक्ट क्या हो? इसे लेकर मुझसे चर्चा की। मैंने उन्हें सुझाव दिया कि शिवराज सरकार की परफॉर्मेंस पर मीडिया के लोगों से बात की जाए। चर्चा में जो कुछ सामने आए, उसी सब्जेक्ट पर काम करो। टॉपिक तय होने के बाद मीडिया से पूछे जाने वाले सवाल तैयार कर सर्वे किया। शिवराज सरकार के बारे में उस समय जो मीडिया की राय थी, उसे लेकर रिसर्च वर्क पूरा किया। अशोक गहलोत के गुरु ने लिया इंटरव्यू प्रो. शर्मा बताते हैं, ‘PhD रजिस्ट्रेशन का इंटरव्यू लेने के लिए जयपुर से प्रो. बीएम शर्मा यहां आए थे। वे अशोक गहलोत के गुरु थे। हंसते हुए प्रो. शर्मा आगे बताते हैं, मोहन यादव का वायवा का दिन नहीं भूल सकता। वायवा लेने के लिए जोधपुर से कुलपति प्रो. लोकेश शेखावत आए थे। उनके बिजी शेड्यूल को देखते हुए हमने वायवा के लिए दिन जन्माष्टमी का चुना। जब प्रो. शेखावत यहां पहुंचे तो संयोग बना कि शोधार्थी मोहन थे, निदेशक के रूप में मैं गोपाल कृष्ण और दिन जन्माष्टमी। वायवा के बाद हम सभी ने इस्कॉन मंदिर में फलाहार किया।