जम्मू कश्मीर विधानसभा का चुनाव लोकसभा के साथ हो सकता है
आजाई दिने (राजनीतिक संवाददाता)। दिल्ली मोटे अक्षरों में लिखा जाएगा क्योंकि इसी दिन देश के सर्वोच्च न्यायालय ने जम्मू कश्मीर में अलगाववाद की भावना की जन्मदाता धारा 370 को हटाए जाने के केंद्र सरकार के फैसले को कानूनी मान्यता प्रदान करते हुए साफ कर दिया कि उक्त धारा को अजर अमर बताने वालों ने देश को अंधेरे में रखा। अदालत में जिस तरह की दलीलें उस धारा को बनाए रखने के पक्ष में दी गई वे भी उसी कोशिश का हिस्सा रहीं। लेकिन अदालत ने उस तर्क को सिरे से नकार दिया जिसमें कहा गया था कि जम्मू कश्मीर की संविधान सभा को पुनर्जीवित किया बिना धारा 370 के बारे में कोई भी फैसला नहीं किया जा सकता। सबसे बड़ी चात ये हुई की सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य के विभाजन के फैसले के साथ ही राष्ट्रपति शासन लगाने के फैसले को भी सही मानते हुए जम्मू कश्मीर के भारत में विलय के बारे में जताई जाने वाली तमाम आशंकाओं को दरकिनार कर दिया। इस फैसले में राज्य को पूर्ण राज्य की हैसियत और विधानसभा चुनाव हेतु अंतिम तिथि संबंधी निर्देश भी है जिससे राजनीतिक प्रक्रिया शुरू हो सकेगी। लद्दाख को अलग करने के अलावा राज्य में विधानसभा सीटों का नया परिसीमन होने से अब राजनीतिक संतुलन घाटी की बजाय जम्मू अंचल की तरफ झुकने से अलगाववादी ताकतें भन्नाई हुई हैं। अब्दुल्ला और मुफ्ती परिवार को अपनी जागीर खिसकती नजर आने लगी है। कारगिल के मुस्लिम बहुल इलाकों को लद्दाख में शामिल किए जाने के निर्णय ने भी घाटी के राजनीतिक प्रभुत्व में कटौती कर दी है। कुल मिलाकर अगस्त 2019 में मोदी सरकार द्वारा संसद के जरिए जो निर्णय लागू करवाए गए थे उनको वैधता को लेकर व्याप्त अनिश्चितता पूरी तरह खत्म हो जाने से ये मुद्दा अब लोकसभा चुनाव में भाजपा के लिए बेहद लाभदायक होगा क्योंकि कांग्रेस सहित अनेक विपक्षी पार्टियां धारा 370 को खत्म किए जाने का विरोध करती रही हैं। लेकिन सर्वोच्च न्यायालय का फैसला आने के बाद अभिषेक मनु सिंघवी ने भी ये स्वीकार किया कि अब यह मुद्दा खत्म हो चुका है जिस पर पुनर्विचार संभव नहीं। पी. चिदंबरम ने ये सफाई तो दी कि कांग्रेस ने धारा 370 की बहाली को बात तो नहीं की लेकिन ये कहते हुए खीझ निकाली कि उसे हटाने का तरोका सही नहीं था। और वे सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का अध्ययन करने के बाद ही कोई टिप्पणी करेंगे। बहरहाल इस फैसले ने प्रधानमंत्री के साथ ही गृहमंत्री अमित शाह का कद न सिर्फ राष्ट्रीय भाजपा के लिए ये बड़ी और बहा दिया है। मुख्य उद्देश्यों की पूर्ति लगातार होते जाने से उसके प्रतिबद्ध वोट बैंक की आस्था और मजबूत होती जा रही है। म.प्र, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में पार्टी की धमाकेदार जीत के पीछे सनातन का विरोध करने वालों को जवाब देने का भाव भी काफी तेजी से देखने मिला। 370 हटाए जाने के फैसले को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सही ठहराए जाने के बाद अब भाजपा का हौसला और बुलंद हो गया है और बड़ी बात नहीं यदि वह पहली मर्तबा इस राज्य में बिना किसी जी सहायता लिए अपनी सरकार बना ले। वे संभावना भी है कि लोकसभा के साथ ही जम्मू कश्मीर विधानसभा का चुनाव भी करवाया जा सकता है क्योंकि भाजपा का भरोसा है कि दोनों चुनाव एक साथ होने से उसे अतिरिक लाभ होगा। वैसे भी जनवरी में राम मंदिर का शुभारंभ होने के बाद पूरे देश में हिंदुत्व की लहर व्याप्त होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।