सरकार को मिलने वाले आयकर की 76 फीसदी राशि 5 फीसदी लोग भरते हैं
नई दिल्ली, एजेंसी । भारत में अन्य देशों की तुलना में सबसे अधिक आबादी है लेकिन यहां पर आयकर का भुगतान करने वाले सबसे कम हैं। डेटा के अनुसार 140 करोड़ की आबादी वाले देश में सिर्फ 6.65 करोड़ ही आयकर का भुगतान करते हैं। यह संख्या कुल आबादी की 4.8 और वयस्क की आबादी 6.3 है । यह तथ्य भी चौंकाने वाला है कि सरकार को मिलने वाले कुल आयकर की 76 फीसदी राशि 32 लाख (5 फीसदी) लोग भरते हैं। सबसे अधिक चौंकाने वाली बात यह है कि यह ट्रेंड पिछले नौ सालों से चला आ रहा है। सरकार ने कर संग्रह बढ़ाने के लिए डिमोनेटाइनेशन, जीएसटी और बड़े ट्रांजेक्शन में पैन अनिवार्य किया फिर भी कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ा । वैश्विक निवेश बैंक जेफरीज ने देश के 10 साल के व्यक्तिगत आयकर ट्रेंड का विश्लेषण किया है। इसके अनुसार रिटर्न भरने वालों की संख्या हर साल 8 फीसदी की दर से बढ़ रही है। साल 2012 में इनकी संख्या 3.1 करोड़ थी जो 2023 में 7.1 करोड़ रह गई है। इसके उलट कारपोरेट टैक्स भरने वाले 5 फीसदी सालाना की दर से बढ़कर 10 लाख ही हुए। हालांकि ज्यादा छूट मिलने से व्यक्तिगत आयकर जमा करने वालों की संख्या 33 फीसदी गिर गई है। 5 लाख, 10.5 लाख, 50 लाख से अधिक आय वाले करदाता सालाना 17 से 20 फीसदी की दर से बढ़ रहे हैं। व्यक्तिगत करदाताओं की आय बढ़ी है। यह 2012 में जीडीपी 15 फीसदी थी जो 2023 में 23 फीसदी हो गई है। कुल व्यक्तिगत आय में शार्ट टर्म ओर लांग टर्म कैपिटल गैन्स का योगदान दोगुना बढ़कर 7.6 फीसदी हो गया है। यही नहीं आय में कैपिटल गैन्स बताने वाले पिछले तीन साल में दोगुने हो गए हैं। ऐसा डिस्क्लोजन बढ़ने और डेटा ट्रेकिंग के चलते हुआ है। अब रिटर्न फार्म में पहले से यह जानकारी भरी रहती है। सीबीडीटी के मुताबिक व्यक्तिगत आयकर का भुगतान करने वाले शीर्ष एक फीसदी लोगों की कुल आय अन्य आयकरदाताओं के मुकाबले कम हुई है।