उज्जैन के श्री महाकालेश्वर मंदिर में रविवार तड़के भस्म आरती से पहले चंद्रग्रहण के मोक्ष के बाद पूरे मंदिर परिसर को पानी से शुद्ध किया गया। इसके लिए फायर फाइटर की मदद ली गई। मंदिर के अग्र भाग सहित नंदी हॉल, गर्भगृह, गणेश मंडपम सहित पूरे परिसर को शुद्ध किया गया। इसके बाद पंडे-पुजारी ने गर्भगृह में स्थापित सभी भगवान की प्रतिमाओं का पूजन कर भगवान महाकाल का जलाभिषेक किया। दूध, दही, घी, शक्कर, फलों के रस से बने पंचामृत से पूजन किया। प्रथम घंटाल बजाकर हरि ओम का जल अर्पित किया गया। कपूर आरती के बाद भगवान के मस्तक पर भांग, चंदन और त्रिपुंड अर्पित कर गणेश स्वरूप में श्रृंगार किया गया। श्रृंगार पूरा होने के बाद ज्योतिर्लिंग को कपड़े से ढांककर भस्म रमाई गई। भगवान महाकाल का भांग, सूखे मेवों, चंदन, आभूषण से श्रृंगार किया गया। भस्म अर्पित करने के पश्चात शेषनाग का रजत मुकुट, रजत की मुंडमाल और रुद्राक्ष की माला के साथ सुगंधित पुष्प से बनी फूलों की माला अर्पित की। भगवान महाकाल ने मोगरे और गुलाब के पुष्प धारण किए। कार्तिक मास की शुरुआत भी आज से हो गई है। इस महीने को भगवान श्री कृष्ण की उपासना के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। इस पवित्र महीने में उज्जैन स्थित शिप्रा नदी के स्नान, तुलसी शालिग्राम की पूजा और मंदिरों में दीपदान से विशेष पुण्य मिलता है। कार्तिक मास में सनातन धर्म से संबंधित कई प्रमुख पर्व और त्यौहार धूमधाम से मनाए जाते हैं।
फायर फाइटर से धोया गया पूरा मंदिर क्षेत्र
प्रात: काल भगवान महाकाल के मंदिर के पट खोलने से पहले पूरा मंदिर परिसर को धोया गया। भगवान महाकाल को स्नान कराया गया। इसके बाद महाकाल की आरती प्रारंभ हुई। भस्म आरती देखने के लिए आए श्रद्धालुओं को मंदिर समिति और पुजारी की तरफ से निवेदन किया गया था कि चंद्रग्रहण खत्म होने के बाद स्नान करने के बाद ही मंदिर पहुंचें।