Breaking
Sat. May 4th, 2024

लोगों के दिलों पर राज करना ज्यादा प्रभावशाली होता है

By MPHE Oct 25, 2023
लोगों के दिलों पर राज करना ज्यादा प्रभावशाली होता है
लोगों के दिलों पर राज करना ज्यादा प्रभावशाली होता है

अधिकांश लोग ऐसा चाहते हैं, कि दूसरा व्यक्ति मेरे आधीन रहे। मेरे आदेश का पालन करे। ऐसा करने से उनको सुख मिलता है। इसलिए सुखी रहने के लिए लोग दूसरों को अपने दबाव में रखना चाहते हैं। उन पर शासन करना चाहते हैं। यदि आप भी किसी पर शासन करना चाहते हैं, तो वह दो पद्धतियों से होता है। एक उसके शरीर पर शासन और दूसरा- उसके हृदय पर शासन शरीर की अपेक्षा उसके हृदय पर शासन करना अधिक कठिन होता है, परन्तु यह लंबे समय तक चलता है और अधिक सुखदायक होता है। दोनों पद्धतियों से शासन कैसे होता है ? इनमें क्या अंतर है? पहली पद्धति- जब कोई व्यक्ति ऊंचे अधिकार के कारण, ऊंची सत्ता होने के कारण, धन संपत्ति अधिक होने के कारण, बल अधिक होने के कारण इत्यादि, किसी भी ऐसे कारण से दूसरे को दबाकर रखना चाहता है, तो इसे % शरीर पर शासन% करना कहते हैं। यह अधिक अच्छा नहीं होता, कम सुखदायक होता है और अस्थाई भी होता है। ऐसा शासन लंबे समय तक नहीं चल पाता क्योंकि ये सब कारण अधिक प्रभावशाली नहीं होते। इसलिए इन कारणों से किया गया शासन कुछ समय बाद समाप्त हो जाता है। दूसरी बात यह है, मनोविज्ञान कहता है कि सभी लोग स्वाभिमान पूर्वक जीना चाहते हैं। इन सत्ता अधिकार धन बल आदि कारणों से किए गए शासन से दूसरों के स्वाभिमान को ठेस लगती है। इसलिए सत्ता धन बल आदि कारणों से दूसरों पर किया गया शासन बहुत लंबे समय तक नहीं चल पाता।
दूसरी पद्धति – इससे शासन हृदय पर होता है। यह अधिक प्रभावशाली होता है, और अधिक सुखदायक भी होता है। उसका कारण यह होता है, कि जब एक व्यक्ति दूसरे के साथ न्यायपूर्वक प्रेमपूर्वक सर्वहित को ध्यान में रखकर व्यवहार करता है, यम नियमों के या धर्म के अनुकूल आचरण करता है, उसमें झूठ छल कपट स्वार्थ आदि दोष नहीं होते, सच्चाई ईमानदारी सभ्यता नम्रता सेवा परोपकार इत्यादि गुण होते हैं, तो इस प्रकार का व्यवहार करने से दूसरों के हृदय पर शासन किया जाता है। यह अधिक प्रभावशाली होता है। ऐसा व्यवहार करना कठिन होता है, इसलिए यह शासन भी कठिन होता है। परन्तु यह लंबे समय तक चलता है, और अधिक सुखदायक भी होता है। अतीत में देखें तो लंकापति रावण और प्रभु श्री राम के शासन का अंतर स्पष्ट नजर आता है। रावण ने पहली पद्धति से शासन किया, जो कि लंबा नहीं चला। और श्री रामचंद्र जी ने दूसरी पद्धति से शासन किया, जिसका सहस्त्रों वर्षों के बाद भी, करोड़ों लोगों के हृदय में आज तक भी विद्यमान है। यदि आप भी दूसरों के हृदय पर लंबे समय तक शासन करना चाहते हों, तो आप अपने व्यवहारों का परीक्षण करें, कि आप ऊपर बताई दोनों में से कौन सी पद्धति से दूसरों के साथ व्यवहार कर रहे हैं। हमारी दृष्टि में तो दूसरों के हृदय पर शासन करना, ऊपर बताई दूसरी पद्धति से ही संभव है, पहली से नहीं। अतः दूसरी पद्धति को अपनाना ही उत्तम है।

– स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक, निदेशक दर्शन योग महाविद्यालय
रोजड़, गुजरात ।

By MPHE

Senior Editor

Related Post