मिस्र और जॉर्डन ने गाजा शरणार्थियों को लेने से किया इंकार डर है उग्रवाद उनके देश में न फैल जाए

मिस्र और जॉर्डन ने गाजा शरणार्थियों को लेने से किया इंकार डर है उग्रवाद उनके देश में न फैल जाए
मिस्र और जॉर्डन ने गाजा शरणार्थियों को लेने से किया इंकार डर है उग्रवाद उनके देश में न फैल जाए

काहिरा ( एजेंसी)। मिस्र ने आज गाजा से लगती सीमा खोलने पर सहमति जताई ताकि लोगों की मदद के लिए सामग्री लाए ट्रक सीमा पार कर सकें। लेकिन लोगों को सीमा पार कर सुरक्षित इलाकों में जाने देने पर फिलहाल कोई प्रगति नहीं हो पाई है मिस्र की सीमा गाजा से लगती है जबकि जॉर्डन की सीमा वेस्ट बैंक से लगती है। दोनों ही देशों ने गाजा से शरणार्थियों को लेने से साफ इंकार कर दिया है।
मिस्र और जॉर्डन दोनों राजी नहीं।:- गत दिवस मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी ने कहा कि यह युद्ध सिर्फ हमास के खिलाफ नहीं है बल्कि नागरिकों को बाहर धकेलने, मिस्र में भेज देने के लिए है। यह क्षेत्र की शांति को अस्थिर कर सकता है.
जॉर्डन के शाह अब्दुल्ला द्वितीय ने भी दो दिन पूर्व ऐसा ही बयान देते हुए कहा था, न मिस्र कोई शरणार्थी लेगा, न जॉर्डन। दोनों देश मुस्लिम बहुल हैं और जॉर्डन में फिलीस्तीनी लोगों की बड़ी आबादी रहती है। इसलिए बहुत से लोगों के मन में यह सवाल है कि ये दोनों देश फिलीस्तीनियों को अपने यहां शरण देने से क्यों इनकार कर रहे हैं?इसकी एक वजह तो उस डर से जुड़ी है कि इजराइल फिलीस्तीनियों को स्थायी तौर पर निकाल देना चाहता है ताकि उनकी अपने देश की मांग कमजोर हो जाए। अल-सिसी ने डर जताया कि बड़ी संख्या में लोगों के आने से मिस्र से सिनाई प्रायद्वीप में भी उग्रवादियों के आने का खतरा बढ़ जाएगा। जहां से वे इस्राएल पर हमले कर सकते हैं और दोनों देशों के बीच 40 साल पहले हुई शांति संधि खतरे में पड़ सकती है। 1948 के बाद से ही इजराइल नेफिलीस्तीनी शरणार्थियों को घर नहीं लौटने दिया है और वह किसी भी शांति संधि में इन लोगों की वापसी पर सहमत नहीं हुआ। इन विस्थापितों और उनकी संतानों की आबादी अब मिलकर 60 लाख हो चुकी है. अधिकतर लोग वेस्ट बैंक, गाजा, लेबनान, सीरिया और जॉर्डन के शरणार्थी कैंपों में रह रहे हैं. बहुत से लोग शरणार्थी शिविरों को छोड़कर अन्य देशों में जा बसे हैं. बड़ी संख्या में शरणार्थियों ने खाड़ी देशों में अपनी नई जिंदगी शुरू कर ली।मिस्र को डर है कि अगर वह शरणार्थियों को लेता है तो इतिहास एक बार फिर से दोहराया जाएगा और गाजा के लोग उसके यहां सदा के लिए रह जाएंगे. इसकी एक वजह तो यह है कि मौजूदा युद्ध किस तरह खत्म होगा, इसका कोई अनुमान संभव नहीं हो पा रहा है.
इजराइल के इरादे:- इजराइल का कहना है कि उसका मकसद हमास का समूल नाश है।हालांकि ऐसा हो पाएगा या नहीं, इस बारे में पुख्ता तौर पर कोई कुछ नहीं कह सकता. और अगर ऐसा होता भी है तो उसके बाद गाजा पर किसका अधिकार और शासन होगा, इस बारे में इजराइल ने कोई संकेत नहीं दिया है। इस कारण अरब देशों को डर है कि वह गाजा पर कब्जा कर लेगा, जिससे विवाद और बढ़ सकता है। इजराइली सेना ने कहा है कि उसके कहने पर जो लोग गाजा छोड़कर जाएंगे, उन्हें युद्ध के बाद लौटने दिया जाएगा. लेकिन मिस्र इस बात पर भरोसा नहीं कर पा रहा है. अल-सिसी ने कहा कि अगर इजराइल ने कह दिया कि उसने हमास उग्रवादियों का पूरी तरह सफाया नहीं किया है तो युद्ध बरसों तक खिंच सकता है. उन्होंने सुझाव दिया है कि इजराइल गाजा के लोगों को नेगेव मरुस्थल में स्थान दे, जो गाजा पट्टी से लगता है।