Breaking
Mon. May 20th, 2024

2024 : राम मंदिर का निर्माण देश के नव उत्थान का शुभारंभ होगा

By MPHE Jan 1, 2024

 

वैसे भारतीय काल गणना में चैत्र नवरात्रि की प्रतिपदा से नववर्ष का प्रारंभ माना जाता है किंतु ईसवी सन को चूंकि पूरे विश्व ने मान्य कर लिया है इसलिए अब 1 जनवरी से नए वर्ष की शुरुआत होने लगी है। देश के संदर्भ में देखें तो आज से प्रारंभ हो रहा वर्ष नवजागरण का कहा जा सकता है। भारत के प्राचीन गौरव की पुनर्स्थापना के प्रतीक स्वरूप अयोध्या में आगामी 22 जनवरी को राम मंदिर में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है। इसके लिए अयोध्या को जो नया स्वरूप दिया जा रहा है वह आधुनिकता के साथ ही परंपरागत वैभव का जीवंत एहसास करवाने वाला है। इसके जरिए भारत अपने विकास संबंधी संकल्प का परिचय पूरे विश्व को देने में सफल होगा। राम मंदिर केवल सनातनी आस्था का केंद्र ही नहीं अपितु आर्थिक क्षेत्र में भारत के बढ़ते कदमों का उद्घोष है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विरोधी चाहे जो भी कहें किंतु साधारण को असाधारण बनाने की उनकी सोच उन्हें औरों से अलग करती है। कुछ वर्ष पूर्व उन्होंने देशवासियों से घरेलू पर्यटन को बढ़ावा देने का अनुरोध करते हुए प्रमुख दर्शनीय स्थल विशेष रूप से धार्मिक केंद्र घूमने का आग्रह किया था। कोरोना के कारण इसमें व्यवधान उत्पन्न हुआ किंतु उसके बाद से पर्यटकों का उत्साह रिकार्ड तोड़ने की सीमा तक देखने मिला। जम्मू कश्मीर में धारा 370 हटाए जाने के बाद से पर्यटकों की आवाजाही जिस तरह बढ़ी उसने इस समस्याग्रस्त राज्य की समृद्धि के द्वार खोल दिए । यही स्थिति अन्य पर्यटन स्थलों की भी है। लेकिन सबसे बड़ी बात हुई धार्मिक केंद्रों में श्रद्धालुओं के उमड़ने की। प्रधानमंत्री ने इसकी शुरुआत अपने निर्वाचन क्षेत्र स्थित विश्वनाथ मंदिर से की जिसको रिकॉर्ड समय में भव्यतम स्वरूप प्रदान किए जाने का परिणाम ही है कि वाराणसी देश के सबसे बड़े पर्यटन केंद्र के तौर पर विकसित हो उठा। उसके बाद उज्जैन के ऐतिहासिक महाकाल मंदिर को भी उसी तरह की भव्यता प्रदान की गई। हाल ही में ओंकारेश्वर में आद्य शंकराचार्य जी की विशाल प्रतिमा का अनावरण भी किया गया। इन कार्यों का चमत्कारिक परिणाम देखने मिल रहा है। आज वाराणसी और उज्जैन में आठ – आठ लाख श्रद्धालुओं के पहुंचने की जानकारी है। इन कार्यों से प्रेरित होकर विभिन्न राज्यों में स्थित प्रमुख धार्मिक केंद्रों को भी वाराणसी और उज्जैन जैसा नया स्वरूप देने की खबरें मिल रही हैं । उल्लेखनीय है देश में 12 ज्योतिर्लिंग और 50 से अधिक शक्तिपीठ हैं। इनका विकास होने से यहां आने वाले श्रद्धालुओं को तो सुविधा होगी ही उन शहरों की अर्थव्यवस्था में भी आशातीत उछाल आयेगा। उज्जैन के बारे में जो जानकारी आई है उसके अनुसार महाकाल लोक के निर्माण के बाद स्थानीय स्तर पर ही तकरीबन 50 हजार नए रोजगार पैदा हुए , वहीं व्यवसाय को अकल्पनीय लाभ हुआ। वाराणसी से मिलने वाले आंकड़े तो इससे भी कहीं ज्यादा हैं। ये देखते हुए अयोध्या में राम मंदिर के शुभारंभ के उपरांत देश और विदेश से आने वाले दर्शनार्थियों की संख्या प्रतिवर्ष करोड़ों में पहुंचने की उम्मीद है। परिणामस्वरूप समूचे पूर्वी उ.प्र में पर्यटन उद्योग को पंख लगना तय है। इस सबसे जो बात निकलकर आई , वह ये कि जिस तरह भारत दुनिया का बड़ा उपभोक्ता बाजार है उसी तरह यदि योजनाबद्ध प्रयास किए जावें तो घरेलू पर्यटन देश के आर्थिक विकास में बड़ा योगदान दे सकता है। प्रधानमंत्री ने इस बारे में जैसी सार्थक सोच दिखाई उसे कुछ लोग सांप्रदायिकता और भाजपा को राजनीतिक लाभ पहुंचाने वाली कह रहे हैं किंतु ऐसा ही तब भी सुनने में मिला था जब गुजरात के केवड़िया में सरदार पटेल की मूर्ति स्थापित हुई जो दुनिया में सबसे ऊंची है। उस पर हुए खर्च को लेकर भी तरह – तरह के सवाल उठाए गए परंतु जब वहां लाखों पर्यटक पहुंचने लगे और क्षेत्रीय विकास आश्चर्यजनक रूप से होने लगा तब आलोचकों के मुंह बंद हो गए। वर्ष 2024 में देश विकास की जो नई सीढ़ियां चढ़ेगा , उनमें घरेलू पर्यटन का बड़ा योगदान होगा । अयोध्या , वाराणसी ,उज्जैन और ओंकारेश्वर जैसे धार्मिक केंद्रों के नव विकसित स्वरूप ने जो नई दिशा दिखाई है वह आत्मनिर्भर भारत की अवधारणा को और मजबूत करेगी। भारत में स्वयं का इतना सामर्थ्य है कि उसे अपने उत्थान के लिए किसी बाहरी सहायता की आवश्यकता नहीं होगी। अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण को देश के नव उत्थान का शुभारंभ कहना गलत नहीं होगा।

By MPHE

Senior Editor

Related Post