2019 से अंडरग्राउंड थे विद्रोही, अब लूटे गए हथियारों के दम पर उग्रवाद फैला रहे
इंफाल, एजेंसी। 4 दिसंबर को मणिपुर के टेंगनाउपोल जिले के लीथू गांव के पास जंगल में 13 लोगों के शव मिले थे। जांच में पता चला कि ये सभी मैतेई उग्रवादी समूह द रिवोल्यूशनरी पीपुल्स फ्रंट (आरपीएफ) की पॉलिटिकल विंग पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के थे और म्यांमार हथियारों की ट्रेनिंग लेने जा रहे थे। सूत्रों के मुताबिक इस घटना के बाद पूरे राज्य में उग्रवादियों की मौजूदगी की पड़ताल शुरू कराई गई, जिसमें पता चला कि 3 मई से जारी हिंसा की आ? में करीब 30 उग्रवादी समूह फिर से एक्टिव हो गए हैं। ये वे संगठन हैं, जो 2019 के बाद की गई केंद्र सरकार की सख्ती के चलते अंडरग्राउंड हो गए थे। फिलहाल राज्य में 8 मैतेई तो 18 कुकी उग्रवादी समूह सक्रिय हैं। कुछ नगा उग्रवादी भी छिटपुट घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। इन सभी संगठनों के पास हिंसा के दौरान पुलिस से लूटे गए 75 प्रतिशत हथियार में कहीं 25 निष्क्रिय समूह दोबारा सक्रिय न हो जाएं। 8 माह में 5,600 में से 1500 हथियार मिले मणिपुर हिंसा के बाद 5,600 से ज्यादा हथियारों ने सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ा दी है। 8 महिनों में अभी तक 1400 हथियार ही वापस मिले हैं। जो लूटे गए हथियारों के एक चौथाई से भी कम हैं। जबकि गोलियां तो सिर्फ 5त्न ही मिल पाई हैं। 18 कुकी उग्रवादी समूह, दो सबसे ज्यादा सक्रिय : मणिपुर में 18 कुकी उग्रवादी समूह हैं। इनमें से सबसे ज्यादा सक्रिय कुकी रिवोल्यूशनरी आर्मी (केआरए) और कुकी नेशनल आर्मी (केएनए) संगठन हैं। कुकी उग्रवादी समूहों ने 2008 में सरकार के साथ त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। और 95 प्रतिशत गोलियां हैं। सीएम बीरेन सिंह की चेतावनी के बावजूद लोग हथियार सरेंडर नहीं कर रहे हैं। अब आशंका ये है कि इन उग्रवादियों की आड़