एनआईए की चार्जशीट में जिक्र, इसी के कहने पर शुरू हुई थी कमांडो ट्रेनिंग
भोपाल, एजेंसी। अहमद हमें निर्देश देता था। वो कहता था, भारत के हर छोटे-बड़े शहर में सेल तैयार करो। एक ग्रुप पकड़ा जाए तो तत्काल दूसरा ग्रुप एक्टिव हो जाना चाहिए। मुजाहिदीन की तरह लड़ो। ऑन ग्राउंड काम करो। भोपाल के आसपास के इलाकों में भी ग्रुप बनाओ। यूपी में अतीक अहमद की मौत का बदला हमें किसी हिन्दू नेता को मारकर लेना है। ये बयान हिज्ब उत तहरीर (HuT) के मेंबर सैयद सामी रिजवी का है, जो उसने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को पूछताछ के दौरान दिया है। सैयद रिजवी ने एनआईए को बताया कि सऊदी अरब में रहने वाला अहमद नाम का शख्स एमपी में ।॥ह्वञ्ज के पूरे ऑपरेशन को कंट्रोल करता था। उसी के कहने पर एमपी के । ॥ह्वञ्ज हेड यासिर ने उन्हें कमांडो ट्रेनिंग देना शुरू की थी। एनआईए की चार्जशीट में कई जगह अहमद का जिक्र है, लेकिन वो सऊदी में कहां रहता है, कैसा दिखता है, उसके बारे में कोई जानकारी नहीं है। हिज्ब उत तहरीर के जिन 17 आरोपियों के खिलाफ एनआईए ने स्पेशल कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की है, उन्होंने अपने बयान में कहा- अहमद के कहने पर हमें ISIS के तर्ज पर ट्रेनिंग दी जा रही थी। पहाड़ चढ़ना, स्विमिंग, लंबे समय तक भूखे और छुपकर रहना जैसे कठिन काम इस ट्रेनिंग का हिस्सा थे। 9 मई 2023 को अस्की टीम ने जब ॥ञ्ज मेंबर्स यासिर और उसके 6 साथियों को गिरफ्तार किया तो इसमें सैयद सामी रिजवी नाम का सदस्य भी था। सैयद सामी रिजवी वो शख्स है, जो अहमद के बारे में काफी कुछ जानता है। एनआईए को दिए बयान में रिजवी ने बताया कि अहमद ही एमपी में HuT को कंट्रोल कर रहा था। वह अलग अलग मैसेजिंग ऐप के जरिए सभी मेंबर्स से कॉन्टैक्ट में था। रिजवी ने एनआईए को बताया कि वह टेलीग्राम पर वॉइस ऑफ मुस्लिम नाम के ग्रुप से जुड़ा था। इस ग्रुप पर रोजाना बातें होती थी। एक दिन एक गुमनाम नंबर से उसे मैसेज मिला। मैसेज भेजने वाले ने उसे अपना नाम अहमद बताया। ये भी बताया कि वह हिज्मत रिलीफ फंड में काम करता है। अहमद ने उससे कहा कि टेलीग्राम पर बातें करना सेफ नहीं है इसलिए उसने एक सीक्रेट मैसेजिंग ऐप श्रेमा से उसे जोड़ा। रिजवी का एक दोस्त मोहसीन भी सऊदी में रहता है। अहमद उससे भी जुड़ा था। तीनों के बीच रोजाना रात 9 से 10 बजे के बीच बातें होने लगी। अहमद उनसे नॉर्थ इंडिया की गतिविधियों के बारे में जानकारी लेता था। इसके अलावा अहमद रिजवी के साथ दूसरे सीक्रेट ऐप हशेड के जरिए भी जुड़ा था। इस ऐप पर यासिर और दानिश भी जुड़े थे। रिजवी ने बताया कि अप्रैल के महीने में अतीक अहमद की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इसके बाद अहमद इस बात से नाराज था कि हम लोगों ने अभी तक कोई बड़ा कदम नहीं उठाया। एमपी में हमारी गतिविधियों को शुरू हुए 2 साल हो चुके थे। अहमद का कहना था कि दो साल में 8-10 शहरों में 2-3 ऑपरेशन हो जाना चाहिए थे। रिजवी ने ये भी बताया कि अहमद फोन पर बात नहीं करता था केवल वॉइस मैसेज करता था, वह भी अलग-अलग नाम से। यासिर को अब्दुल्ला, सलीम को फैजल और मोहसीन को दाऊद के नाम से वॉइस मैसेज आते थे।