जबलपुर (सिटी डेस्क)। पनागर विधानसभा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी राजेश पटेल के विरुद्ध जिस तरह की बगावत देखने मिल रही है उससे लगता है भाजपा प्रत्याशी और वर्तमान विधायक सुशील तिवारी , इंदु जीत की तिकड़ी बनाने जा रहे हैं। एक कांग्रेसी नेता के इस्तीफे और एक के निर्दलीय चुनाव लड़ने के फैसले कारण श्री पटेल की राह मुश्किलों से भर उठी है। 2018 में भाजपा के बागी रहे भारत सिंह यादव ने कांग्रेस की उम्मीदवारी हासिल करने के लिए काफी कोशिशें की किंतु पार्टी ने उन्हें उपकृत नहीं किया। ऐसे में भाजपा विधायक के घोर विरोधी माने जाने वाले श्री यादव दोबारा निर्दलीय लड़ेंगे या फिर कांग्रेस प्रत्याशी का सहयोग करेंगे ये बड़ा सवाल है। यदि उन्होंने श्री पटेल का साथ दिया तब तो कांग्रेस लड़ाई में दिखेगी । लेकिन यदि उन्होंने निर्दलीय लड़ने का फैसला किया या शांत होकर घर बैठ गए तो फिर भाजपा को पनागर सीट पर अपना परचम फैलाने से रोकना असंभव होगा। श्री यादव के साथ भी ये परेशानी जुड़ गई है कि भाजपा में उनकी वापसी संभव नहीं है और कांग्रेस ने उनको भाव नहीं दिया। निर्दलीय लड़ने पर पिछले चुनाव जैसा समर्थन उनको शायद ही प्राप्त हो सके। नगर निगम चुनाव में धर्मपत्नी के गृह वार्ड से कांग्रेस टिकिट पर हार जाने के बाद उनके आभामंडल में कमी आई है। उनका भविष्य अनिश्चित होता देख अनेक समर्थक वापस भाजपा में ठिकाना तलाश रहे हैं। ऐसा नहीं है श्री तिवारी का बिलकुल विरोध नहीं है। भाजपा में एक तबका है जो उन्हें बाहरी बताकर विरोध करता आया है । पूर्व विधायक नरेंद्र त्रिपाठी के अलावा ओबीसी समुदाय के अनेक कार्यकर्ता प्रत्याशी बदलने की मांग उठाते रहे हैं किंतु श्री तिवारी की पिछली जीत का अंतर इतना बड़ा था कि पार्टी नेतृत्व उनका टिकिट काटने का साहस नहीं कर सका । फिलहाल जो स्थिति है उसमें ये कहा जा सकता है कि कांग्रेस प्रत्याशी श्री पटेल यदि अपने घर के भीतर उठे विरोध को ठंडा नहीं कर सके तब भाजपा को रोकना नामुमकिन होगा। हालांकि नाम वापसी के बाद ही मैदानी स्थिति स्पष्ट होगी क्योंकि तब तक श्री यादव और कांग्रेस के बागी वीरेंद्र चौबे की स्थिति स्पष्ट हो जायेगी।
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