IPO Scam: सामने आया बड़ा आईपीओ घोटाला, ED ने 3 लोगों को किया गिरफ्तार

IPO Scam: सामने आया बड़ा आईपीओ घोटाला, ED ने 3 लोगों को किया गिरफ्तार
IPO Scam: सामने आया बड़ा आईपीओ घोटाला, ED ने 3 लोगों को किया गिरफ्तार

आपने देश में कई घोटालों के बारे पढ़ा और सुना जरूर होगा। लेकिन अब बिल्कुल नए तरीके का घोटाला सामने आया है। यह है आईपीओ घोटाला। आप भी सुनकर चौंक गए होंगे ​कि भला आईपीओ में कैसे घोटाला हो सकता है तो बता दूं कि घोटाला हुआ है। इतना ही नहीं प्रवर्तन निदेशालय(ED) ने 3 लोगों को इस घोटाले को लेकर गिरफ्तार भी किया है। आइए जानते हैं कि यह घोटाला किसने किया है।

दो विदेशी लोगों के साथ एक भारतीय गिरफ्तार 

प्रवर्तन निदेशालय ने हैदराबाद में करोड़ों रुपये के कथित आईपीओ घोटाले से जुड़े धन शोधन के मामले की जांच के तहत तीन लोगों को शुक्रवार को गिरफ्तार किया है। इनमें से एक अमेरिका का निवासी, एक वानुअतु का और एक भारतीय है। अमेरिका के निवासी पवन कुचाना, वानुअतु गणराज्य के निवासी निर्मल कोटेचा और किशोर तापड़िया को 11 अक्टूबर को धन शोधन निवारण अधिनियम (Prevention Of Money Act-PMLA) के प्रावधानों के तहत हिरासत में लिया गया था। इन तीनों को गुरुवार को हैदराबाद में विशेष अदालत के समक्ष पेश किया गया। अदालत ने 25 अक्टूबर तक ईडी को इनकी हिरासत सौंप दी है।

इस तरह घोटाले को दिया गया अंजाम

पवन कुचना, निर्मल कोटेचा और किशोर तापड़िया ने आईपीओ जारी करने के लिए तक्षशील सॉल्यूशंस लिमिटेड के राजस्व को बढ़ाने और बाद में आईपीओ की आय को डायवर्ट और साइफन करने के लिए एक रणनीति तैयार की। आईपीओ जारी करने के लिए, निर्मल कोटेचा ने 34 रुपये के अंतर-कॉर्पोरेट जमा (आईसीडी) की व्यवस्था की। ईडी ने कहा कि तक्षशील सॉल्यूशंस लिमिटेड को 50 करोड़ रु.उक्त धनराशि को पवन कुचाना से संबंधित अमेरिकी-आधारित संस्थाओं के माध्यम से हेरफेर किया गया था और तक्षशील सॉल्यूशंस लिमिटेड के साथ लेनदेन किया गया था। एजेंसी ने कहा कि आईपीओ आय में से 23 करोड़ रुपये सॉफ्टवेयर उत्पादों की खरीद की आड़ में भारतीय संस्थाओं को हस्तांतरित किए गए और अंततः हांगकांग और दुबई स्थित निर्मल कोटेचा की संस्थाओं को हस्तांतरित कर दिए गए।

मनी लॉन्ड्रिंग के तहत कार्रवाई 

एजेंसी की ओर से जारी बयान के अनुसार, धन शोधन का मामला 55,00,000 शेयरों (प्रति शेयर 10 रुपये) के आईपीओ के संबंध में अनियमितताओं के लिए तकशील सॉल्यूशंस लिमिटेड, इसके प्रवर्तकों तथा निदेशकों और अन्य के खिलाफ सेबी अधिनियम 1992 के तहत भारतीय प्रतिभूति व विनिमय बोर्ड द्वारा दायर एक शिकायत के बाद सामने आया। इसके तहत निर्गम मूल्य 150 रुपये तय किया गया था और इससे तक्षशील ने 80.50 करोड़ रुपये जुटाए थे।